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भगवतगीता

21.00

इस नोट्स के अंतर्गत गीता में वर्णित आत्मस्वरूप, स्थितप्रज्ञ दर्शन, सांख्ययोग, कर्मयोग, सन्यास योग, ध्यान योग, भक्ति योग आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। अंत में प्रकृति के तीन गुण, दैवीय व आसुरी संपदा, श्रद्धात्रय विभाग योग, भोजन के प्रकार, योग की परंपरा, परा व अपरा प्रकृति, नरक के तीन द्वार, तीन प्रकार के त्याग, कर्म के कारण व प्रेरणा आदि का वर्णन किया गया है।

 

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